लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

२४ - खुशी का माहौल -फोन की टिन-टिन-

श्रेया को आराम करने को कह, श्रवन भी जाकर लेट गया। आज श्रवन के मन में काफी तसल्ली हो गई थी। वह बहुत खुश था। कि इतनी परेशानियों के बाद आखिर श्रेया को होश आ ही गया। हमारी मेहनत वसूल हो गई। परेशानियां आने के बाद अगर कुछ अच्छा परिणाम आ जाए, तो उस परेशानी का दुख नहीं होता। और  सुखद परिणाम आने पर परेशानियों को सभी भूल जाते हैं। श्रेया को होश आ गया है, और अब श्रेया के ऊपर आने वाला खतरा भी टल चुका है। ऐसा विचार करते-करते श्रवण को कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला। आज बहुत दिनों बाद श्रवन चैन की नींद सोया था। सुबह जब चिड़ियों की चहचहाहट उसके कानों में पड़ी, तो उसे महसूस हुआ। कि सुबह हो चुकी है।वह उठा तो एक नई सुबह उसका इंतजार कर रही थी। आज की सुबह उसको बहुत ही खुशनुमा महसूस हो रही थी। क्योंकि हफ्ते भर की इतनी बड़ी समस्या के बाद यह पहली सुकून भरी सुबह थी। उसने  श्रेया की तरफ देखा ....तो वह अभी सो ही रही थी। श्रवण को आज की सुबह बड़ी सुकून भरी महसूस हो रही थी। श्रवन कमरे से बाहर निकलकर मां के पास गया और मां को प्रणाम किया। मां ने श्रवण को सदैव खुश रहने का आशीर्वाद दिया, और उसकी बेटी को गोद में थमा दिया। उसने अपनी बेटी को गोद में लेकर प्यार किया। और उसके बाद चाय का ऑर्डर कर मां को चाय देकर अपनी चाय लिए फिर से श्रेया के पास कमरे में आ गया है।

श्रवन बड़े सुकून में चाय की चुस्कियां ले रहा था। आज बहुत दिन बाद उसे ऐसा लग रहा था, कि चाय में भी कोई टेस्ट होता है, इतने में उसे श्रेया के जगने का महसूस हुआ, श्रेया थोड़ा सा कुलबुलाई ‌‌थी।  श्रवन तत्काल खड़ा हो गया पर देखा, श्रेया फिर से सो गई.... तो बैठ‌कर चाय पीने लगा। श्रवन चाय पीते पीते सोच रहा था। कि यह पूरी तरह ठीक हो जाएगी तो उसको लेकर वो घर जाएगा। और अपने बच्चे के साथ कितनी मस्ती करेगा... खुशी मनाएगा। लेकिन दूसरी ओर श्रवन ने सोचा,कि श्रेया के इलाज में इतना पैसा खर्च हुआ है। उसकी भरपाई कैसे करेगा। यह भी तो श्रवन को ही सोचना था। क्योंकि ऑफिस से श्रक्न ने छुट्टी ले रखी थी और अभी श्रेया भी ऑफिस नहीं जा पाएगी। अब तो सोचना यह है, कि पैसे की भरपाई कैसे करेगा। सोचते-सोचते श्रवन फिर से परेशान हो उठा।  इतने में नर्स ने दरवाजा खटखटाया।  और उसने पूछा कि श्रेया अभी तक जगी नहीं श्रवन  ने बताया नहीं। थोड़ा कुलबुलई थी, फिर से सो गई। नर्स ने श्रेया को उसकी दवा इंजेक्शन निकाले और इंजेक्शन दिया और कहा- कि जगने पर श्रेया यदि मांगे तो उसे थोड़ी सा चाय  पिला सकते हैं।  श्रवन ने कहा ठीक है,अगर उसने नहीं मांगा तो। बोले नहीं मांगेगी तो उसे कुछ नहीं देना है। जब तक वह अपने मुंह से ना मांगे अभी उसे कुछ नहीं देना है । अभी  ड्रिप के जरिए ही उसके शरीर को ताकत मिलेगी। कहकर नर्स इंजेक्शन देकर चली गई।

थोड़ी ही देर में श्रवन ने देखा के श्रेया हिल डुल रही है। उसने पास जाकर देखा कि श्रेया आंखें खोल कर इधर-उधर देख रही थी। श्रवन ने श्रेया को गुड मॉर्निंग कहकर उस का हाल पूछा,कि अब उसे कैसा लग रहा है?  श्रेया बहुत धीरे स्वर में कुछ बोली,जो श्रवन को समझ नहीं आया।श्रवन ने कहा- कोई नहीं आराम करो। श्रवन ने श्रेया पीने के लिए  पूछा- चाय पीनी है, श्रेया ने मना कर दिया। फिर श्रवन ने श्रेया को ब्रश कराकर मुंह साफ कराया। और तौलिए से उसका मुंह और हाथ पोंछकर साफ कर दिए थे। श्रवन  श्रेया के पास बैठ गया। श्रेया की आवाज तो नहीं निकल रही थी, परंतु फिर भी श्रेया ने आंखों से जो कहा- वह श्रवन समझ गया था। श्रेया अपनी बेटी को देखना चाहती थी। श्रवन  ने कहा-  कि बेटी से मिलना है ............ श्रेया ने पलके झुका कर सहमति जताई, श्रेया की आंखें जल से भरी नदी के समान प्रतीत हो रही थी।जिसके दोनों किनारे कब छलक उठेंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता। श्रवन को यह देख कर रोना आ गया। उससे श्रेया का यह दर्द देखा नहीं जा रहा था, परंतु जो कर सकता था, वह कर रहा था। श्रवन ने कहा- ठीक है, मैं उसे लेकर आता हूं। इतना कहकर श्रवन जैसे ही उठा। तो श्रेया ने उसका हाथ पकड़ लिया, श्रेया इतनी कष्ट के दिनों के लिए श्रवन से जैसे माफी मांगना चाहती हो। श्रेया की मन: स्थिति श्रवन अच्छे से समझ रहा था,उसने श्रेया को धैर्य बनाते हुए कहा- कि सब ठीक हो जाएगा परेशान मत हो। रुको, मैं अभी हमारी बेटी को लेकर आता हूं, कि जिसके आगमन से हमारा वजूद ही पूरा का पूरा बदल गया। श्रेया परेशान थी, उसकी आंखों में आंसू डबडबा रहे थे। कि घर में सब उससे नाराज़ न हों।  उसकी वजह से सभी को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा है। अभी तो श्रेया को अपनी बीमारी की पूरी बात पता भी नहीं है। के उसको क्या हुआ था। वह तो अभी  बिस्तर कर लेटी है। उसी को समझ रही है।जब उसे पता लगेगा तब उसके मन में अपने परिवार के लिए अगाध प्रेम उमड़ पड़ेगा। जो उसके परिवार ने उसके लिए किया है उसके भाई ने, मां-बाप ने, सास ससुर ने,ननद नेउसके पति ने, सभी ने उसके लिए जी जान एक कर दिया था। इस सब के बारे में तो श्रेया को अभी कुछ पता ही नहीं था। उसे तो होश ही नहीं था,कि उसको क्या हो रहा है। उसे सिर्फ यह मालूम था कि उसका ऑपरेशन हुआ है और उसके बच्चे ने जन्म लिया है। बाकी सब जो भी हुआ उसे कुछ नहीं पता है । इतने में..........

श्रवन कमरे के अंदर आता हुआ दिखाई दिया श्रेया के मन में अपनी बेटी से मिलने की आस बहुत जोरों पर थी। श्रवन की गोदी में बच्चे को देखकर का उसका मन खुशी से सिहर उठा। और उसके अंदर एक जोश आ गया अपनी बेटी को देखकर श्रेया के मुख से आवाज निकली। मेरा बच्चा........श्रेया की आवाज सुनकर श्रवन तो जैसे फूला नहीं समा रहा था। श्रेया ने उठना चाहा तो  वह नहीं उठ पाई श्रवन ने कहा- नहीं, उठो नहीं अभी। तुम इसको लेटे-लेटे ही देख लो। थोड़ा ठीक होने पर तुम इसको उठ कर खिलाना प्यार करना, ठीक है। अपनी बेटी को देखकर श्रेया के मन में पुराने खयालात याद आने लगे,कि इस बेटी के लिए उसने कितनी कष्ट सहे हैं, कितने ताने सहे हैं। सभी लोग उसको बुरा भला कहते थे।कोई उसे बझ कहता था। कोई उसका मुंह नहीं देखना चाहता था। कांटों भरे शब्द श्रेया के तन बदन से ज्यादा हृदय को घायल करते थे। वह अंदर ही अंदर परेशान होकर रो कर रह जाती थी और कुछ नहीं कर पाती थी। वह भी तो मां बनना चाहती थी,लेकिन यह उसके हाथ में नहीं था। उसे सभी के ताने बर्दाश्त करने ही पड़ते थे। ताने सहती और भगवान से प्रार्थना करती रहती थी, कि भगवान वह दिन कब आएगा। जब मेरी गोद  भी भर जाएगी। आज वह दिन श्रेया और श्रवन के नसीब में आ गया, कि उसकी गोद में एक सुंदर प्यारी सी बेटी है। श्रवन  भी अचानक उन हालातों की याद में खो गया, और बेटी को गोद में लेकर दोनों माता-पिता की आंखों में आंसू बह रहे थे। आज उन्हें दुनिया जहान की सबसे बड़ी खुशी मिल चुकी थी। अपनी बेटी को पाकर वह दोनों ही बहुत खुश थे। श्रेया भले तन से परेशान थी, लेकिन मन से श्रेया भी बहुत खुश थी। आज उसे ऐसे लग रहा था, कि वह आकाश में उड़ रही है, उसके पर लग गए हैं , और वह खुशी में झूम रही है। श्रवन उसकी इस खुशी के भाव को उसके मुख कमल पर देख कर बहुत खुश था। थोड़ी देर के लिए श्रेया की खुशी को देख कर श्रवन अपने सारे गम भुला बैठा था। इस समय उसे कोई चिंता नजर नहीं आ रही थी। उसे ऐसे लग रहा था, कि उसने अपनी पत्नी श्रेया मानो सारे जहान की खुशियां परोसकर उस कर उसकी झोली में डाल दी हैं। और उसे बहुत ही संतुष्टि भी महसूस हो रही थी, कि चलो आज कम से कम सब खुश तो हैं। सच ही कहा है-

खुशी की खुशबू महक उठी है,

       श्रेया और श्रवन के तन मन ।

दो दिल जिसको तरस रहे थे,

       आज मिला है वह सुदर्शन।

अभी दोनों की आंखों की अश्रु धारा सूखी भी नहीं थी कि डॉक्टर  साहब ने प्रवेश किया। श्रेया की आंखें खुली देख डॉक्टर साहब भी बहुत खुश हुए ,और उन्होंने श्रेया से उसका हाल जानना चाहा। तो उसने धीरे से कहा- कि ठीक हूं, इतना सुनकर डॉक्टर साहब मैं जैसे जान आ गई। उन्होंने  श्रेया का चेकअप किया, और कुछ दवा लिखकर चले गए। इतने में...... फोन की घंटी बजी.........….

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9 Comments

Mithi . S

18-Sep-2022 04:49 PM

Bahut khub likha

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Chirag chirag

17-Sep-2022 06:16 PM

Nice post

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Pallavi

17-Sep-2022 05:03 PM

Nice

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